मंडप में दुल्हन को सिर झुकाए बैठा देख एक बुज़ुर्ग महिला बोलीं, "बहू कितनी सुशील और संस्कारी है, जब से बैठी है, सिर नीचे किए हु़ये है. एक बार भी नज़रें उठा कर नहीं देखा ।" पीछे से आ...
वो मुझे देखकर सोच रहा था कि मैं यहाँ कैसे ? शायद वो भूल गया कि मैं तो मुसाफिर हूँ, उसके दिल में मेरे लिए जगह नहीं तो क्या हुआ, शहर तो बहुत बड़ा है..!! BHAGI JAT
Kisi ki umid me wo aise khoye the , Palkon se pata chla wo rat bhar roye the, Dhimi Si Aaht se unke krib ana chaha , jane kyo aise lga wo hme yad krte -krte soye the..!! BHAGI JAT
Aapne dushman se hi dil laga baithe , Unki Saadgi se fareb kha baithe, Pattharon se tha Apna rishtaa, Phir bhi Shishe ka Ghar bana baithe..!! BHAGI JAT
" इन्सान , घर बदलता है, लिबास बदलता है, रिश्ते बदलता है, दोस्त बदलता है, फिर भी परेशान क्यों रहेता है, क्योकि वो खुद को नहीं बदलता..!!" इसलिए मिर्ज़ा ग़ालिब ने कहा था : "...
मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ कि , पत्थरों को मनाने में, फूलों का क़त्ल कर आए हम, गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने, वहाँ एक और गुनाह कर आए हम..!! BHAGI JAT
वो बेवफा मुझसे कहती है , कि....." तुम आज भी मुझसे प्यार करते हो ", मैने भी कह दिया......" प्यार का तो पता नहीं, पर आज भी मेरे दोस्त मुझे तेरी कसम देते है..!! BHAGI JAT