धूल चहेरे पे थी और आयना साफ करता रहा
"इन्सान ,
घर बदलता है,
लिबास बदलता है,
रिश्ते बदलता है,
दोस्त बदलता है,
फिर भी परेशान क्यों रहेता है,
क्योकि वो खुद को नहीं बदलता..!!"
इसलिए मिर्ज़ा ग़ालिब ने कहा था :
"उमर भर ग़ालिब यही भूल करता रहा,
धूल चहेरे पे थी और आयना साफ करता रहा..!!"
BHAGI JAT
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