छोड़ ये बातें कि मिले ज़ख़्म मुझे कहाँ से

छोड़ ये बातें कि मिले ज़ख़्म मुझे कहाँ से,
ए- ज़िंदगी इतना बता कि सफ़र कितना बाकी है..!!
BHAGI JAT

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