तुम हक़ीक़त-ए-इश्क़ हों या फ़रेब मेरी आँखों का

तुम हक़ीक़त-ए-इश्क़ हों या फ़रेब मेरी आँखों का,
न दिल से निकलते हो न मेरी ज़िन्दगी में आते हो..!!
BHAGI JAT

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