खुशियां कम और आराम बहोत है
खुशियां कम और आराम बहोत है,
जिसे भी देखा परेशान बहोत है..!!
करीब से देखा तो निकला रेत का घर,
मगर दूर से इसकी शान बहोत है..!!
कहते है सच का कोई मुकाबला नही,
मगर आजकल झूट की पहचान बहोत है..!!
मुश्किल से मिलता है शहर में आदमी,
यू तो कहने को इंसान बहोत है..!!
BHAGI JAT
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