आगे सफर था
आगे सफर था,
और पीछे हमसफर था,
रूकते तो सफर छूट जाता,
और चलते तो हमसफर छूट जाता..!!
मंजिल की भी हसरत थी,
और उनसे भी मोहब्बत थी,
ए दिल तू ही बता,
उस वक्त मैं कहाँ जाता..!!
मुद्दत का सफर भी था,
और बरसो का हमसफर भी था,
रूकते तो बिछड जाते,
और चलते तो बिखर जाते..!!
यूँ समँझ लो,
प्यास लगी थी गजब की,
मगर पानी मे जहर था,
पीते तो मर जाते,
और ना पीते तो भी मर जाते..!!
बस यही दो मसले,
जिंदगी भर ना हल हुए,
ना नींद पूरी हुई,
ना ख्वाब मुकम्मल हुए..!!
BHAGI JAT
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