भीड़ में अपनी अलग पहचान रख , खुद में ज़िंदा इक भला इंसान रख, इस हथेली में अगर दिल रख दिया, उस हथेली मे तू अपनी जान रख, बेईमानी से बना तू काम सब, पर दिखाने के लिए ईमान रख, एक दिन ये क़र...
जमीन जल चुकी है आसमान बाकी है, दरख्तों तुम्हारा इम्तहान बाकी है, वो जो खेतों की मेढ़ों पर उदास बैठे हैं, उन्हीं की आँखों में अब तक ईमान बाकी है, बादलों अब तो बरस जाओ सूखी जमीनों ...