दीदार की 'तलब' हो तो नज़रे जमाये रखना 'ग़ालिब'

दीदार की 'तलब' हो तो नज़रे जमाये रखना 'ग़ालिब',
क्युकी,
'नकाब' हो या 'नसीब'
सरकता जरुर है...!!
BHAGI JAT

Comments

Popular posts from this blog