कभी पीठ पीछे मेरी बात चले तो मैं घबरात नही

कभी पीठ पीछे मेरी बात चले तो मैं घबरात नहीं,
क्योंकि बात तो "उन्हीं की होती है" जिनमें कोई " बात " होती है...!!!
BHAGI JAT

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