मुन्नाभाईः अबे सर्किट, तेरे हाथ पर पट्टी कैसे बंधी है?
मुन्नाभाईः अबे सर्किट, तेरे हाथ पर पट्टी कैसे बंधी है?
सर्किटः कुछ मत पूछो भाई, अपुन का मोटर एक्सीडेंट हो गया था।
मु्न्नाभाईः अरे इतनी चोट आ गई?
सर्किटः नहीं बॉस, मुझे तो खरोंच भी नहीं लगी परंतु उधर से एक गुजर रहा था, उसको जरूर लग गई।
मुन्नाभाईः अबे खरोंच भी नहीं लगी तो हाथ पर पट्टियां कैसी हैं?
सर्किटः क्या बोलूं मु्न्नाभाई, कल वही आदमी अपुन को रस्ते में दोबारा मिल गया।
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