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Showing posts from October, 2018

उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ

उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ, ए जिंदगी, तेरी हर चाल के लिए मैं दो चाल लिए बैठा हूँ ..!! लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख -मिचौली का, मिलेगी कामयाबी हौसला कमाल लिए बैठ...

उसूलों पे जहाँ आँच आये वहां टकराना ज़रूरी है

उसूलों पे जहाँ आँच आये वहां टकराना ज़रूरी है , जो ज़िन्दा हों तो फिर ज़िन्दा नज़र आना ज़रूरी है..!! BHAGI JAT