उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ
उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ, ए जिंदगी, तेरी हर चाल के लिए मैं दो चाल लिए बैठा हूँ ..!! लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख -मिचौली का, मिलेगी कामयाबी हौसला कमाल लिए बैठ...
Wo Meri Jindgi Mai Aayi Sirf Ye Batane, Ke Dekh Akele Kaise Jiya Jata Hai..!!